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शिप्रा नदी किनारे 29 किमी नए घाटों का निर्माण तेज़ी से जारी, 778 करोड़ की परियोजना से श्रद्धालुओं को मिलेगी बड़ी सुविधा
उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की विशेष मंशा के तहत शिप्रा नदी को नई दिशा देने और सिंहस्थ सहित बड़े धार्मिक आयोजनों में आने वाले श्रद्धालुओं को स्वच्छ और सुव्यवस्थित स्नान स्थल उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार ने एक विशाल परियोजना को गति दी है। इसी उद्देश्य से 778 करोड़ रुपये की लागत से उज्जैन शहरी क्षेत्र में नए घाटों का निर्माण तेज़ी से जारी है।
मंगलनाथ मंदिर क्षेत्र के पास नए घाट का निर्माण कार्य उल्लेखनीय गति से आगे बढ़ रहा है। अधिकारियों के अनुसार, शिप्रा नदी के किनारे लगभग 29 किलोमीटर की लंबाई में आधुनिक और सुरक्षित घाट विकसित किए जा रहे हैं, जिससे शहर के धार्मिक स्वरूप और सुविधाओं में बड़ा सुधार देखने को मिलेगा।
पुराने घाटों का भी होगा उन्नयन
नए घाटों के साथ-साथ सरकार द्वारा 9 किलोमीटर लंबे पुराने स्थायी घाटों के उन्नयन का कार्य भी किया जा रहा है। इस कार्य पर लगभग 120 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है। उन्नयन के बाद ये घाट अधिक मजबूत, आकर्षक और बड़े धार्मिक आयोजनों के दौरान भीड़ के अनुरूप सक्षम होंगे।
सिंहस्थ में बड़ी राहत — 24 घंटे में ढाई करोड़ श्रद्धालु कर सकेंगे स्नान
प्रशासन का अनुमान है कि घाटों के इस बड़े नेटवर्क के तैयार होने के बाद 24 घंटे में करीब ढाई करोड़ श्रद्धालु शिप्रा नदी में स्नान कर सकेंगे। इससे न केवल श्रद्धालुओं को पर्याप्त स्थान मिलेगा, बल्कि भीड़ प्रबंधन में भी शासन और प्रशासन को बेहद मदद मिलेगी।
श्रद्धालुओं की सुविधा पर विशेष ध्यान
नए घाटों को स्थायी रूप से विकसित किया जा रहा है, ताकि आने वाले वर्षों में भी इनका उपयोग सुचारु रूप से हो सके।
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घाटों पर आकर्षक विद्युत सज्जा लगाई जाएगी, जिससे रात के समय भी रोशनी और सुरक्षा बनी रहे।
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श्रद्धालुओं के लिए नए चेंजिंग रूम बनाए जा रहे हैं, ताकि स्नान के बाद कपड़े बदलने में उन्हें कोई असुविधा न हो।
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घाटों का डिज़ाइन इस तरह तैयार किया जा रहा है कि भीड़ में भी सुरक्षा और आवागमन सुचारु बना रहे।
उज्जैन के धार्मिक पर्यटन को मिलेगा नया आयाम
विशेषज्ञों का मानना है कि घाटों का यह विस्तार उज्जैन के धार्मिक पर्यटन को नई पहचान देगा। सिंहस्थ 2028 के लिए यह परियोजना अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि आने वाले वर्षों में श्रद्धालुओं की संख्या और भी बढ़ने की संभावना है।